Pushpa : The Rise
कल ही मैंने बहु चर्चित पुष्पा फ़िल्म देखी । फिल्मांकन बहुत ही अच्छी हुई है । एक एक स्टार कास्ट अपने अलग ही अंदाज से अभिनय का जादू दिखा जाती है । अल्लू अर्जुन और मंदाना की यह फ़िल्म प्रकृति से जुड़ी हुई है । और इसकी कथा बहोत ही दिलचस्प है । जो हमे थिएटर में देखने से अवश्य महसूस हो सकता है ।
आज बात करनी है इसी फिल्म का संस्कृत कनेक्शन के बारे में ।
वैसे तो मुझे स्टोरी लाइन और डायलॉग को लेकर साउथ की हर एक फ़िल्म बहोत ही पसंद आती है । वैसे तो साउथ फ़िल्म का संगीत भी अच्छा ही होता है परंतु मुझे कर्णाटक शैली से ज्यादा हिन्दुस्तानी शैली पसंद है । पर यह बात फिर कभी करेंगे ।
आज जो बात करनी है वो है कि
मुझे पुष्पा फ़िल्म निम्नलिखित कारणों की वजह से बहोत ही पसंद आई ।
पुष्पा के खास दोस्त का नाम "केशव" था ।
पुष्पा की मां का नाम "पार्वती" था ।
उसके पिता का नाम "वेंकटरमण" था ।
उसकी प्रेमिका का नाम "श्रीवल्ली" था ।
उसके ससुर का नाम "मुनिरत्नम" था ।
पुष्पा के मालिक का नाम "कोंडा रेड्डी" था ।
जिस डीएसपी ने पुष्पा को पकड़ा था उसका नाम "गोविंदम" था ।
जिस थानेदार ने पुष्पा के साथ इंट्रोगेशन किया उसका नाम "कुप्पाराज" था ।
पुष्पा के सबसे बड़े दुश्मन का नाम "मंगलम श्रीनू" था ।
जो पुष्पा को मारना चाहता था , श्रीनू का साला उसका नाम "मोगलिस" था ।
डॉन कोंडा रेड्डी के विधायक दोस्त मंत्री जी का नाम "भूमिरेड्डी सिडप्पा नायडू" था ।
लाल चंदन का सबसे बड़ा खरीददार "मुरुगन" था ।
फ़िल्म मुझे इसलिए भी अच्छी लगी क्योंकि इसमें कैरेक्टर वाइज कोई न सलीम था न कोई जावेद था ।
न रहम दिल अब्दुल चचा थे ।
न पांच वक्त का नमाजी सुलेमान था ।
न अली-अली था न मौला-मौला था ।
न दरगाह थी , न मस्जिद थी , न अजान थी ।
न सूफियाना सियापा था ।
बस माथों पर लाल चंदन के तिलक थे ।
मंदिर थे ।
मंत्र थे ।
संस्कृत के श्लोक थे ।
काम शुरू करने से पूर्व देवी की पूजा थी ।
नए दूल्हा-दुल्हन के चेक पोस्ट से गुजरने पर उन्हें भेंट देने की प्रथा थी ।
पत्तल में खाना था ।
देशज वेशभूषा थी ।
अपनी प्रथाओं , परंपराओं का सम्मान था ।
बस यही सब बातें थी जो मैं बॉलीवुड में बहुत मिस करता हूँ और मेरी तरह बहुत से लोग करते होंगे । साउथ सिनेमा की ओर बॉलीवुड के दर्शकों का झुकाव होने एक कारण यह भी है ।
ऐसी फिल्में देखने के बाद महसूस होता है कि हां हम अपने ही देश में है।
सनातनी भारत भूमि पर ही हैं।
जय हो भारतीय धर्म और आचरण की ।
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