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Nov 6, 2021

हिन्दुओं के रीति रिवाज तथा मान्यताएं | Hindu Rights Rituals Customs and Traditions | Hindu Manyatae

हिन्दुओं के रीत रिवाज तथा मान्यताए 

हेल्लो डिअर रीडर्स !

आज हम एक अनूठे पुस्तक के बारे में जानेंगे | इस पुस्तक का नाम है हिन्दुओ के रीत रिवाज तथा मान्यताए | दोस्तों यह पुस्तक हिन्दुओ के रीत रिवाज एवं मान्यताए अंग्रेजी में भी उपलब्ध है जिसका नाम है Hindu Rights Rituals Customs and Traditions.  हिन्दुओ के रीत रिवाज एवं मान्यताए पुस्तक में हिन्दूओ के सदीओ पुराने जो रीत रिवाज एवं मान्यताए है इसकी धार्मिक एवं पौराणिक आधार पे चर्चा की गई है | 

डॉ. चंद्रप्रकाश गंगराडे द्वारा लिखित यह पुस्तक सभी हिन्दुओ के पास होनी चाहिए | यह पुस्तक हिन्दुओ के रीत रिवाज तथा मान्यताए में निम्नलिखित विषयो का उल्लेख किया गया है | 

  • सर्व प्रथम गणेशजी का पूजन क्यों किया जाता है ?
  • पारद शिवलिंग एवं शालिग्राम पूजन क्यों ?
  • हनुमानजी को सिन्दूर क्यों चढ़ाया जाता है ?
  • सूर्यग्रहण एवं चंद्रग्रहण के समय भोजन क्यों नहीं करना चाहिए ?
  • गंगा इतनी विशेष नदी क्यों है ?
  • हिन्दू धर्ममे संस्कारों का क्या महत्व है ?
  • गर्भाधान संस्कार कायो करना चाहिए ?
  • यज्ञोपवीत संस्कार क्यों करना चाहिए ?
  • सरस्वती को ही ज्ञान की देवी क्यों माना जाता है ?
  • शिखा का क्या महत्व है ?
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  • शौच के समय जनेऊ कान पे लपेटना क्यों जरुरी है ?
  • मृतक का तर्पण क्यों करना चाहिए ?
  • विवाह में सात फेरे क्यों ?
  • सगोत्र विवाह करना वर्जित क्यों है ?
  • पूजा से पहले स्नान की क्या आवश्यकता है ?
  • ब्राह्ममुहूर्त में उठने के फायदे ?
  • पूजा पाठ में दीपक जलाना क्यों आवश्यक है ? 
  • पुनर्जन्म की मान्यता में विश्वास क्यों ?
  • शुभ कार्यो में पूर्व दिशा में ही मुख क्यों रखते है ?
  • पूजा में नारियल क्यों प्रयोग किया जाता है ? 
  • देवताओं की मूर्ति की परिक्रामा क्यों की जाती है ?
  • जल अर्घ्य क्यों देना चाहिए ?
  • तुलसी का विशेष महत्व क्यों ?
  • पीपल के पेड़ का पूजन क्यों किया जाता है ?
  • तिलक क्यों किया जाता है ?
  • गायत्री मंत्र की सब से अधिक मान्यता क्यों है ?
  • यज्ञ में आहुति के साथ स्वाहा क्यों बोलते है ?
  • मंत्रो की शक्ति में विश्वास क्यों करे ?
  • ब्राह्मण को ही सर्वाधिक महत्व क्यों ?
  • जाती पाती का भेदभाव अनुचित क्यों है ?
  • मंदिर में घंटा क्यों बजाते है ?
  • सत्यनारायण की कथा का महत्व क्या है ? 
  • सुन्दर काण्ड का धार्मिक महत्व क्या है ?
  • दीपावली पर लक्ष्मी पूजन क्यों ?
  • मंगल सूत्र क्यों धारण करे ?
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और इस के जैसे ही कई प्रश्न जो हमारे मन मस्तिष्क में घूमते रहते है इस के शास्त्रिक्त और वैज्ञानिक द्रष्टिकोण से इस पुस्तक में बहोत ही अच्छा समजाया गया है | 

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Sep 24, 2021

Sanskrit Swayam Shikshak | Teach Yourself Sanskrit | Sanskrit Book संस्कृत स्वयं शिक्षक | Best book for Learning Sanskrit

नमस्कार दोस्तो !

संस्कृत स्वयं शिक्षक


आज मै आप को संस्कृत सिखने कि एक ऐसी किताब के बारे मे बताने जा रहा हु जो आप को संस्कृत सिखने के लिये बहोत हि काम आयेगी ।संस्कृत शिक्षण के लिए और संस्कृत सिखने के लिये इस पुस्तक का इस्तेमाल् आप लोग अपने आप कर सकेङ्गे । स्वयंभू संस्कृत सिखने के लिये आप लोगो को यः पुस्तक बहोत हि उपयोगी रहेगी । 
इस पुस्तक का नाम है संस्कृत स्वयं शिक्षक । 
इस पुस्तक के ज़रिये आज तक लाखो लोगो ने संस्कृत सिखी है आप को भी यह पुस्तक इसी तरह सरल रीत से स्वयं संस्कृत सिखने के लिए काम आयेगी ।

पण्डित श्रीपाद दामोदर सातवलेकर जी द्वारा लिखित 'संस्कृत स्वयं शिक्षक' पुस्तक को इसी लिन्क के ज़रिये स्पेशल डिस्काउंट के साथ आज हि खरिदे ।

इस पुस्तक में ऐसी सरल पद्धति दी गई है जो आप को संस्कृत सीखने में बहोत हो उपयोगी हो सकती है ।
श्रीपाद दामोदर सातवलेकर महोदय संस्कृत भाषा के प्रकाण्ड पंडित है । इन्होंने संस्कृत सीखने के लिए बहोत से पुस्तक लिखे है । परंतु यह संस्कृत स्वयं शिक्षक पुस्तक बाकी सभी पुस्तकों में सिरताज जैसा है । आप ने अपने जीवन के 40 साल तक संस्कृत अध्यापन करवा के इस बेहद अच्छी पुस्तक का निर्माण किया है । संस्कृत स्वयं शिक्षक पुस्तक का बिक्री बहोत ही बढ़ रहा है ।

संस्कृत स्वयं शिक्षक पुस्तक को कैसे इस्तेमाल करे ?
संस्कृत स्वयं शिक्षक पुस्तक में पेज नंबर 10 पर दिया गया सूचना कुछ ऐसा है ।
1.संस्कृत स्वयं शिक्षक पुस्तक में शुरू से प्रथम पाठ तक जो कुछ लिखा है वो अच्छी तरह से पढ़े । सब ठीक से समझने के पश्चात् प्रथम पाठ को पढ़ना आरम्भ करे । 
2. संस्कृत स्वयं शिक्षक पुस्तक का हर एक पाठ पहले सम्पूर्ण पढ़ना चाहिए, फिर उनको क्रमशः स्मरण करना चाहिए । हर एक पाठ को कम से कम दस बार पढ़ना चाहिए । 
3. संस्कृत स्वयं शिक्षक पुस्तक के हर एक पाठ में जो जो संस्कृत वाक्य है , उनको कंठस्थ करना चाहिए तथा जिन जिन शब्दों के रूप दिए गए है , उनको स्मरण करके, उनके समान जो शब्द दिए हो, उन शब्दों के रूप वैसे ही बनाने का प्रयत्न करना चाहिए । 

सस्पेशल डिस्काउंट के साथ यह पुस्तक आज हि खरिदे ।

4. संस्कृत स्वयं शिक्षक पुस्तक में जहाँ परीक्षा के प्रश्न दिए हो, वहां उनके उत्तर दिए बिना आगे नही बढ़ना चाहिए । यदि प्रश्नों के उत्तर देना कठिन हो , तो पूर्व पाठ दुबारा पढ़ना चाहिए । प्रश्नों का जल्दी से उत्तर न दे सकने का मतलब यही है कि पूर्व पाठ ठीक प्रकार से तैयार नही हुए ।
5. संस्कृत स्वयं शिक्षक पुस्तक में जहाँ दुबारा पढ़ने की सूचना दी है , वहाँ अवश्य दुबारा पढ़ना चाहिए । 
6.  संस्कृत स्वयं शिक्षक पुस्तक यदि दो विद्यार्थी साथ साथ अभ्यास करेंगे और परस्पर प्रश्नोत्तर कर के एक दूसरे को मदद करेंगे तो अभ्यासः बहुत ही शीघ्र हो सकेगा ।
7. संस्कृत स्वयं शिक्षक नाम की यह पुस्तक तीन महीनों के अभ्यास के लिए है । इसलिए पाठको को चाहिए कि वे समय के अंदर पुस्तक समाप्त करे । जो पाठ अधिक समय लेना चाहता है वे ले सकते है । 
स्पेशल डिस्काउंट के साथ यह पुस्तक आज हि खरिदे ।
धन्यवाद ।
Nirav Jani